राजस्थान बिश्नोई समाचार धोरीमन्ना क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण और लोक संस्कृति के संवर्द्धन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुक्रवार को पर्यावरण सेवकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने उपखंड अधिकारी भंवरलाल बिश्नोई को जम्भ साहित्य भेंट किया। सेवकों ने बताया कि संत जम्भेश्वर भगवान के विचार न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी अत्यंत प्रासंगिक हैं।
पर्यावरण सेवक व स्टेट अवार्डी शिक्षक जगदीश प्रसाद विश्नोई ने कहा कि आज जब मानव जीवन प्रदूषण, जल संकट और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों से जूझ रहा है तब जम्भ परंपरा का यह साहित्य हमें प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता का पाठ पढ़ाता है। जम्भेश्वर भगवान द्वारा दिए गए पंच तत्त्वों के संतुलन के सिद्धांत को अपनाकर ही मानवता का स्थायी विकास संभव है।
पर्यावरण सेवकों ने उपखंड अधिकारी को किया जम्भ साहित्य भेंट
इस अवसर पर उपखंड अधिकारी भंवरलाल बिश्नोई ने इस अवसर पर पर्यावरण सेवकों की पहल की सराहना करते हुए कहा कि समाज में पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाना समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है।उन्होंने कहा कि संतों और लोक परंपराओं से मिली शिक्षाएँ समाज को प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने की दिशा में प्रेरित करती हैं। जांभोजी के विचार आज भी पर्यावरण संतुलन के प्रतीक है हमें उनके बताये विचार पर चलकर अपने जीवन का कल्याण करना चाहिए।उन्होंने कहा कि सरकारी स्तर पर चल रहे अभियानों की सफलता तभी संभव है
जब आमजन भी उसमें भागीदारी निभाएँ। एसडीएम ने सेवकों से कहा कि वे युवाओं और विद्यार्थियों में पर्यावरण के प्रति चेतना जगाने के लिए विद्यालयों और ग्राम पंचायतों में जनजागरण अभियान चलाएँ।
कार्यक्रम के दौरान सेवकों ने पौधारोपण, स्वच्छता और जल संरक्षण को लेकर कई सुझाव दिए।उन्होंने बताया कि आगामी दिनों में क्षेत्र के विभिन्न गांवों में जम्भ साहित्य प्रचार यात्रा चलाई जाएगी, जिसके माध्यम से लोक संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण का संदेश जन-जन तक पहुँचाया जाएगा।
इस अवसर पर एसडीएम धोरीमन्ना को भूणिया एसबीआई शाखा प्रबंधक राजेन्द्र बिश्नोई के वैवाहिक समारोह का निमंत्रण पत्र भी दिया गया। इस दौरान पर्यावरण सेवक व वृक्षमित्र हरिराम गोदारा, रामजीवन खिलेरी, जगदीश गोदारा व दयाराम बिश्नोई उपस्थित रहे।
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