श्री गुरू जम्भेश्वर भगवान के 490वें महानिर्वाण दिवस पर लालासर साथरी में संत समागम एवं वार्षिक मेला सम्पन्न

राजस्थान बिश्नोई समाचार बीकानेर नोखा लालासर साथरी पर्यावरण एवं जीव रक्षा के सिद्धांतों को स्थापित करने वाले विष्णु अवतार सतगुरू जाम्भोजी महाराज के 490वें महानिर्वाण दिवस के उपलक्ष्य में लालासर साथरी स्थित निर्वाण स्थली पर भव्य संत समागम एवं वार्षिक मेले का आयोजन सम्पन्न हुआ।

कार्यक्रम का शुभारंभ हवन पाहल से हुआ, जिसके पश्चात देशभर से पधारे पूज्य संतों ने अपने अमृतमय प्रवचन देकर श्रद्धालुओं को गुरू जाम्भोजी के उपदेशों का स्मरण कराया।

बिश्नोई समाज में मार्गशीर्ष बदि नवमी को चिलत नवमी कहा जाता है, और इस दिन गुरू जाम्भोजी का पुण्य दिवस बड़े श्रद्धाभाव से मनाया जाता है।

सबदवाणी का उद्धरण देते हुए
“अनैक अनैक चलंता दीठा, कलि का माणस कौन विचारूँ।”
संतजनों ने बताया कि इस धराधाम पर अनेक दिव्य महापुरुषों ने अवतार लेकर अपना उद्देश्य पूर्ण कर लीला संवरण किया है।

मुकाम पीठाधीश्वर स्वामी रामानंद जी आचार्य ने अपने प्रवचन में कहा कि वर्तमान युग में जाम्भोजी के सिद्धांतों का अनुकरण करना अत्यंत आवश्यक है।
बिश्नोई समाज सदियों से जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए समर्पित रहा है। उन्होंने वैचारिक दूषण से मुक्त रहने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

समराथल महंत श्री रामकिशनदास जी महाराज ने श्रद्धालुओं को पाहल देते हुए नशामुक्ति एवं पर्यावरण संरक्षण का संकल्प दिलाया।

योगी लालदास जी महाराज ने अपने प्रवचन में सादा भोजन, स्वस्थ जीवन का सूत्र बताते हुए कहा कि स्वास्थ्य ही प्रथम सुख है।

इस अवसर पर
रामेश्वरदास जी (समराथल), शांतानंद जी (श्रीकोलायत), कृष्णानंद जी (बद्रीनाथ), केशवानंद जी आचार्य, रमतानंद जी आचार्य (मुकाम), स्वामी सत्यनारायण जी (हरियाणा), स्वरूपानंद जी (फिटकासनी) सहित देशभर से पधारे अन्य संतों ने भी अपने विचार प्रकट किए।

हर वर्ष की भाँति इस बार भी लालासर का वार्षिक मेला देशभर से आए श्रद्धालुओं की उपस्थिति में भक्ति, सद्भाव और सेवा भावना से ओतप्रोत रहा।

Post a Comment

और नया पुराने