खेजड़ली में अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण सेमिनार का शुभारंभ
राजस्थान बिश्नोई समाचार जोधपुर खेजड़ली। जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय की गुरु जंभेश्वर पर्यावरण संरक्षण शोधपीठ, विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान एवं खेजड़ली शहीदी राष्ट्रीय पर्यावरण संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण सेमिनार का आज खेजड़ली में शुभारंभ हुआ।
मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए आईआईटी जोधपुर के निदेशक प्रो. अविनाश कुमार अग्रवाल ने कहा कि “यदि गुरु जंभेश्वर के 29 नियमों का पालन किया जाए तो पर्यावरण की अधिकांश समस्याओं का स्वतः समाधान हो सकता है।” उन्होंने प्रकृति और वन्य जीवों के साथ सहजीवन पर बल दिया।
विशिष्ट अतिथि प्रो. महेंद्र आसेरी (कुलपति, मारवाड़ मेडिकल विश्वविद्यालय) ने पर्यावरण संरक्षण को स्वास्थ्य से जोड़ते हुए व्याख्यान दिया। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा 65,000 से अधिक पौधे वृक्ष का रूप लेने जा रहे हैं और गुरु जंभेश्वर के आदर्शों को विश्वभर में प्रचारित किया जा रहा है।
सेमिनार में सारस्वत वक्ता प्रो. अनिल छंगाणी, खेजड़ली शहीदी राष्ट्रीय पर्यावरण संस्थान अध्यक्ष मलखान सिंह बिश्नोई, विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान अध्यक्ष संजय शर्मा, राजस्थान उच्च न्यायालय के अतिरिक्त महाधिवक्ता महावीर बिश्नोई एवं जांभाणी साहित्य अकादमी अध्यक्ष इंद्रा बिश्नोई सहित अनेक विद्वानों ने विचार रखे।
उद्घाटन सत्र में सेमिनार की स्मारिका का विमोचन हुआ तथा तीन पुरस्कार प्रदान किए गए—
गुरु जंभेश्वर पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार : प्रो. अविनाश कुमार अग्रवाल
अमृता देवी वृक्ष मित्र पुरस्कार : राधेश्याम पैमाणी (मरणोपरांत)
प्रो. जेताराम बिश्नोई स्मृति पुरस्कार : पीराराम धायल
द्वितीय सत्र में पूर्व विधायक महेंद्र बिश्नोई, आईएफएस रमेश गोदारा सहित अनेक पर्यावरणविदों एवं शोधार्थियों ने विचार प्रस्तुत किए।
डॉ. ओपी बिश्नोई (निदेशक, गुरु जंभेश्वर शोधपीठ) एवं डॉ. मंगलाराम (कन्वीनर) ने संस्थान की गतिविधियों व आयोजन की जानकारी दी। संचालन डॉ. हितेंद्र गोयल, डॉ. भंवरलाल उमरलाई, डॉ. चंद्रभान एवं श्याम बाबल ने किया।
तीन दिवसीय सेमिनार के अंतर्गत दूसरे दिन खेजड़ली शहीदी राष्ट्रीय पर्यावरण संस्थान में विशेष कार्यक्रम होंगे, वहीं तीसरे दिन हजारों पर्यावरणविद् देश-विदेश से ऑनलाइन जुड़ेंगे। सम्मेलन के उपरांत निष्कर्ष सरकार व संस्थानों को भेजा जाएगा ताकि गुरु जंभेश्वर के पर्यावरणीय जीवन मूल्यों को विश्वभर में प्रचारित किया जा सके।
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