जाम्भाणी संस्कार शिविरों में बच्चों को मिला ज्ञान और संस्कार, ग्रामीण शिक्षा में डिजिटल पहल भी सराही गई

राजस्थान बिश्नोई समाचार श्रीगंगानगर गर्मी की छुट्टियों के दौरान जाम्भाणी साहित्य अकादमी, बीकानेर तथा श्रीगंगानगर ज़िले की स्थानीय संस्थाओं के संयुक्त तत्वावधान में जाम्भाणी संस्कार शिविरों का सफल आयोजन किया गया। इन शिविरों का उद्देश्य बालकों में नैतिक मूल्यों, पर्यावरण के प्रति जागरूकता तथा जाम्भाणी परंपरा की गहरी समझ को बढ़ावा देना रहा।

शिविर आयोजित किए गए प्रमुख स्थल:

1. राजकीय विद्यालय, 54 एलएनपी


2. श्री बिश्नोई मंदिर, बुढ़ा जोहड़ डाबला


3. श्री बिश्नोई मंदिर, रायसिंहनगर



इन शिविरों में बड़ी संख्या में बच्चों और अभिभावकों ने भाग लिया। शिविरों के दौरान जाम्भाणी साहित्य, पर्यावरण संरक्षण, संयमित जीवनशैली और समाज सेवा जैसे विषयों पर संवाद व प्रशिक्षण प्रदान किया गया। प्रशिक्षकों और विद्वानों ने बच्चों को जांभोजी के सिद्धांतों के अनुरूप जीवन जीने की प्रेरणा दी।

डॉ स्वामी सच्चिदानंद जी आचार्य प्रतिभागियों को सम्मानित कर उनके उत्साह को प्रोत्साहित किया गया। आयोजकों ने बताया कि इस प्रकार के शिविर भविष्य में गाँव-गाँव तक पहुंचाए जाएंगे ताकि संस्कारों की नींव गहरी हो सके।

ग्रामीण शिक्षा में नवाचार: 64 एलएनपी में डिजिटल लाइब्रेरी की सराहनीय पहल

ग्राम 64 एलएनपी, तहसील पदमपुर, ज़िला श्रीगंगानगर में स्व. श्री रामकुमार गोदारा (अध्यापक) की स्मृति में संचालित नि:शुल्क डिजिटल लाइब्रेरी का भी दौरा किया गया। यह लाइब्रेरी जरूरतमंद बच्चों को ऑनलाइन कोचिंग क्लासेज़ व टेस्ट सीरीज़ की सुविधा बिल्कुल मुफ्त उपलब्ध करवा रही है।

विशेष बात यह है कि लाइब्रेरी में मोबाइल फोन पूरी तरह से प्रतिबंधित हैं और अध्ययन हेतु टेबलेट्स संस्थान की ओर से उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। यह पहल ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा के स्तर को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

सभी सहयोगियों को हार्दिक आभार

आयोजन की सफलता में भागीदार सभी आयोजक संस्थाओं, भामाशाहों, प्रशिक्षकों, अभिभावकों व बच्चों का हृदय से आभार प्रकट किया गया।

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