राजस्थान बिश्नोई समाचार बीकानेर| जाम्भाणी साहित्य अकादमी ऋषिकेश से पधारे आचार्य श्री कृष्णानंद जी ने कहा कि गुरु जम्भेश्वर जी के उपदेश केवल बिश्नोई धर्म के लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता के कल्याण का मार्ग दिखाते हैं। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति अपने धर्म के प्रति श्रद्धाभाव रखता है और उसमें समाहित मानव कल्याणार्थ गूढ़ ज्ञान को आमजन तक पहुँचाता है, वही सच्चे अर्थों में सफल जीवन जीता है।
आचार्य श्री ने 541वें बिश्नोई धर्म स्थापना दिवस की बधाई देते हुए कहा — “गुरुजी के नियमों पर चलकर ही मनुष्य भवसागर को पार कर सकता है।”
इस अवसर पर जाम्भाणी साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित सप्तदिवसीय हरिकथा का समापन भव्य शोभायात्रा के साथ हुआ, जो जय नारायण व्यास कॉलोनी से होकर अकादमी भवन तक पहुँची और धर्मसभा के रूप में परिवर्तित हुई।
अकादमी महासचिव विनोद जम्भदास ने बताया कि गुरु जम्भेश्वर जी की शब्दवाणी समस्त वेदों का सार है।
उपाध्यक्ष राजाराम धारणिया ने कहा कि 8 अक्टूबर से शुरू हुई कथा में पूरे बीकानेर के धर्मप्रेमियों ने भाग लिया।
धर्मसभा को डॉ. बनवारीलाल सहू, कर्नल सज्जन डेलू, मोखराम धारणिया, मोहनलाल लोहमरोड, डॉ. कृष्णलाल देहडू, मास्टर सहीराम, डॉ. भंवरलाल कड़वासरा, रामसिंह कस्वा, हरिराम खीचड़ सहित कई विद्वानों ने संबोधित किया।
कार्यक्रम में महिलाओं, पुरुषों व बच्चों की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही।
धर्मसभा की सफलता में विमला बिश्नोई, डॉ. संतोष कड़वासरा, बुधराम गोदारा, बस्तीराम डूडी, डॉ. लालचंद डूडी, रामस्वरूप खीचड़, हनुमान खीचड़, जगदीश खीचड़ का विशेष योगदान रहा।
आभार व्यक्त करते हुए भंवरसाल कड़वासरा ने कहा अकादमी के प्रति समाज का जुड़ाव काबिले-तारीफ है।”
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