डॉ. राकेश बिश्नोई आत्महत्या प्रकरण: 135 घंटे से मोर्चरी में शव, न्याय की माँग में सुलगता जयपुर


राजस्थान बिश्नोई समाचार जोधपुर | विशेष संवाददाता जोधपुर मेडिकल कॉलेज के पीजी छात्र डॉ. राकेश बिश्नोई की आत्महत्या के बाद राजस्थान में चिकित्सा समुदाय और बिश्नोई समाज में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। मृतक छात्र के परिजनों व समाज के लोगों द्वारा 135 घंटे से मोर्चरी में रखे शव का पोस्टमार्टम करवाने से इनकार कर दिया गया है। उनका स्पष्ट कहना है कि जब तक हत्यारे HOD को गिरफ्तार नहीं किया जाता, तब तक अंतिम संस्कार नहीं होगा। 




धरना-प्रदर्शन और राजनेताओं की उपस्थिति

गुरुवार को धरना स्थल पर अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के अध्यक्ष देवेंद्र बिश्नोई, जोधपुर के उपजिला प्रमुख विक्रम बिश्नोई, तथा पूर्व में सांगरिया विधायक अभिमन्यु बिश्नोई भी पहुंचे। सभी ने एक स्वर में दोषियों की गिरफ्तारी और निष्पक्ष जांच की मांग की।

 वीडियो में किया था HOD का नाम उजागर

डॉ. राकेश ने आत्महत्या से पूर्व एक वीडियो रिकॉर्ड किया था, जिसमें उन्होंने फार्माकोलॉजी विभाग के HOD डॉ. राजकुमार राठौड़ पर गंभीर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया। वीडियो वायरल होने के बाद पूरे राजस्थान प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं।


डॉक्टर संघ का समर्थन, सरकार पर दबाव

राजस्थान रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन और अन्य चिकित्सक संघों ने घटना को "संस्थानिक लापरवाही" बताया है। यदि 48 घंटे में दोषी के विरुद्ध कार्रवाई नहीं हुई, तो प्रदेशभर में हड़ताल की चेतावनी दी गई है। SMS मेडिकल कॉलेज, जयपुर और जोधपुर में दो घंटे की पेन-डाउन स्ट्राइक पहले ही की जा चुकी है।


 सरकार की चुप्पी पर सवाल

अब तक राज्य सरकार की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। विरोध कर रहे लोगों की मांग है कि HOD को तुरंत निलंबित और गिरफ्तार किया जाए, ताकि निष्पक्ष जांच संभव हो सके।


 परिवार का दर्द, समाज का आक्रोश

परिजनों का कहना है कि उनके बेटे ने मेहनत और समर्पण से डॉक्टर बनने का सपना पूरा किया था, लेकिन संस्थानिक उत्पीड़न ने उसकी जान ले ली। अब वे अपने बेटे के लिए न्याय चाहते हैं, और यही मांग आज पूरे समाज की बन गई है।


मांगें:

आत्महत्या के लिए प्रेरित करने वाले डॉक्टर की गिरफ्तारी

निष्पक्ष न्यायिक जांच की घोषणा

मृतक डॉक्टर के परिवार को आर्थिक मुआवजा व सरकारी नौकरी

मेडिकल संस्थानों में एंटी-रैगिंग/मेंटल हेल्थ पॉलिसी का सख्त पालन


(अंत)
यह मामला केवल एक छात्र की आत्महत्या नहीं, बल्कि चिकित्सा शिक्षा प्रणाली की खामियों का आईना बन चुका है। यदि समय रहते न्याय नहीं मिला, तो यह चिंगारी विकराल आंदोलन का रूप ले सकती है।

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