राजस्थान बिश्नोई समाचार बीकानेर लालासर साथरी जाँभाणी साहित्य अकादमी द्वारा ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान आयोजित जाँभाणी संस्कार शिविरों का समापन समारोह शनिवार को लालासर साथरी में भव्य रूप से आयोजित किया गया। इसी अवसर पर छह दिवसीय स्थानीय शिविर का समापन भी संपन्न हुआ।
समारोह में अकादमी के महासचिव श्री विनोद जंभदास ने संस्कार शिविरों की पृष्ठभूमि प्रस्तुत करते हुए कहा कि वर्तमान समय में बच्चों को नैतिक मार्गदर्शन की विशेष आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि समाज में बढ़ते कुसंस्कारों के बीच यह शिविर बच्चों को गुरु जांभोजी के सिद्धांतों की ओर प्रेरित करते हैं।
एक माह में 18 स्थानों पर आयोजित शिविर
पिछले एक माह में देशभर के जांबा, खेतोलोई, पन्नावाली, रोटू, बीकानेर, रावतसर, अबूबशहर, सिरसा, अबोहर, पारता, कालवास, रायसिंहनगर, बूढ़ा जोहड़, 54 एलएनपी, बज्जू और लालासर साथरी सहित कुल 18 स्थानों पर शिविर आयोजित किए गए, जिनमें लगभग 2500 बच्चों ने भाग लिया। इन शिविरों में 100 से अधिक प्रशिक्षकों ने बच्चों को सांस्कृतिक, नैतिक एवं आध्यात्मिक विषयों पर प्रशिक्षण दिया।
सम्मान और प्रेरणा का आयोजन
समारोह में सभी शिविर प्रभारियों, आयोजन समिति के सदस्यों और सेवकों का सम्मान किया गया। साथ ही शिविरों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले बच्चों को भी पुरस्कृत किया गया।
इस अवसर पर डॉ भंवरलाल कड़वासरा, वरिष्ठ उद्योगपति श्री राजाराम धारणियाँ, श्री सोहनलाल सिहाग, श्री मोहनलाल लोहमरोड़, स्वामी मनोहरदास जी, श्री राजेन्द्र शर्मा एवं श्री प्रेम पंवार सहित अनेक गणमान्यजनों ने अपने विचार व्यक्त किए। वक्ताओं ने शिविरों को समाज की दिशा सुधारने वाली पहल बताते हुए ऐसे आयोजनों की निरंतरता की आवश्यकता बताई।
बाल प्रतिभाओं की प्रस्तुति
प्रो. तेजाराम बिश्नोई ने ‘रूंख’ कविता के माध्यम से बच्चों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। वहीं सरदारपुरा बीका की नन्ही बालिका प्रियांसी धारणियाँ ने स्व. राधेश्याम पेमानी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए माता अमृता देवी पर मार्मिक कविता प्रस्तुत की।
सेवकों को किया गया सम्मानित
शिविरों में उल्लेखनीय सेवाएं देने के लिए श्री हरिराम खीचड़, श्री सुभाष योगाचार्य, व मास्टर रामसिंह कसवां को विशेष रूप से सम्मानित किया गया।
भविष्य के निर्माण की दिशा में पहल
अकादमी की अध्यक्षा डॉ. इंदिरा बिश्नोई ने सभी सहयोगी संस्थाओं का आभार व्यक्त करते हुए ‘जांभाणी साहित्य सदन मुकाम’ के निर्माणाधीन भवन की जानकारी दी और आर्थिक सहयोग का आह्वान किया।
कार्यक्रम के अंत में डॉ. स्वामी सच्चिदानंद आचार्य, जो कि शिविरों के राष्ट्रीय संयोजक हैं, ने सभी अतिथियों, प्रतिभागियों व सेवकों का आभार जताया और समाज की सभी संस्थाओं से इन शिविरों में भागीदारी की अपील की।
कार्यक्रम का कुशल संचालन एडवोकेट संदीप धारणियाँ व डॉ. हरिराम सिहाग ने किया। इस अवसर पर सुभाष खीचड़, इमिलाल, देवदत्त, देशराज, सुप्रीत आदि सेवक दल के रूप में सक्रिय रहे।
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