जाम्भाणी साहित्य जीवन जीने कि कला से परिपूर्ण है सुजीत लटियाल

राजस्थान बिश्नोई समाचार जोधपुर पूनमचंद बिश्नोई औसिया स्थानीय कस्बा स्थित रामकृष्ण परहंस छात्रावास परिसर में बुधवार को जाम्भाणी साहित्य पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। अखिल भारतीय विश्नोई महासभा के राष्ट्रीय प्रतिनिधि सुरताराम माचरा के मुख्य आतिथ्य में आयोजित संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए मुख्य वक्ता बॉलीवुड सिंगर सुजीत लटियाल ने कहा जाम्भाणी साहित्य में जीवन जीने की पूरी कला के अलावा जीव जन्तुओं व प्रकृति से प्रेम करने के बारे में विस्तार से जानकारी है। आज की आधुनिकता की चक्काचौंध से करीब पौने छ: सौ साल पहले जम्भेश्वर भगवान ने अपने अनुयायों के लिए 29 नियमों की एक आचार संहिता बनाई थी। यदि मनुष्य गुरू महाराज के बताए 29 नियमों की पालना करते हुए जीवन व्यतीत करे तो जीवन सुख एवं आनन्दमय तो होता ही है मरने के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। लटियाल ने कहा पर्यावरण को लेकर आज पूरा विश्व चिन्तित नजर आ रहा है मगर जाम्भोजी ने जीव दया पालणी रूंख लीला नहीं घावे का उपदेश अपने शिष्यों को पौने छ: सौ साल पहले देकर प्रकृति का संतुलन बना रहे इसके लिए जीव जन्तुओं व पेड़ पौधों की रक्षा करने का संदेश दिया था। राष्ट्रीय प्रतिनिधि सुरताराम माचरा ने कहा गुरू महाराज के बताए गए 29 नियमों में से आधे से ज्यादा तो आज की सरकारे मंत्रालय खोलकर लागु कर रही है। गायक कलाकार मनोहर चौधरी ने कहा जीवन जीने की सबसे सरल कोई पद्धति है तो वो है जाम्भोजी द्वारा बताए गए 29 नियमों की आचार संहिता। निदेशक सुभाष कांवा ने कहा प्रकृति के संतुलन को बचाने के लिए आज भी युवा वर्ग तत्पर है। उन्होने सभी से जाम्भाणी साहित्य में बताई गई ज्ञानवर्धक बातों को जन जन तक पहुंचाने का आहवान किया। संगोष्ठी में पूनमचंद गोदारा पत्रकार दैनिक भास्कर ओसियां, सुनिल कांवा पनाणी, ऐंकर राजाराम विश्नाेई, गणेंश कांवा, मुकेश ईराम नोसर, अनिल एकलखोरी, ओमप्रकाश कांवा, विकास खिदरत, मुकेश खिचड़, सेठाराम ने भी अपने अपने विचार रखे। इस दौरान छात्रावास व राजकीय महाविद्यालय के विद्यार्थी उपस्थित थे।

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