जम्भ चालीसा॥ Jambh Chalisa Audio lyrics
दोहा-
वंदौं श्री जम्भदेव को,
अलख अजोनी ईश।पारब्रह्म परमात्मा,
पूर्ण विसवा बीस॥
शब्द भेद जाणूं नही,
मैं हूँ निपट गिंवार ॥
जुगति मुगति मोहे दीजियो,
संशय हरो अपार॥
श्री जम्भ चालीसा-
जय जम्भेश्वर जय गुरूदेवा,
सत् चित् आनंद अलख अभेवा॥१॥
लोहट घर अवतार धराया,
माता हँसा लाड लडाया ॥२॥
सकल सृष्टि के तुम हो स्वामी,
घट घट व्यापक अंतर्यामी॥३॥
ब्रह्मा विष्णु अरू महादेवा,
ये सब करें आपकी सेवा॥४॥
सुर नर मुनिजन ध्यान लगावे,
अलख पुरूष थारो भेद न पावे॥५॥
हाड़,मांस,लोहूं नहीं काया,
आप ही ब्रह्म आप ही माया॥६॥
दस अवतार आप ही धारा,
त्रिलोकन के संकट टारा॥७॥
पीपासर हरि ले अवतारा ,
क्षत्री वंश कुल गोत पंवारा ॥८॥
जोत निरंजन अटल सवाई,
धर्म उबारण आये साँई ॥९॥
सात वर्ष तक बालक लीला,
गऊ चराई बनकर ग्वाला ॥१०॥
लोहट जी को परचा दीन्हा,
जल बरसाय कलश भर लीन्हा ॥११॥
मायाधारी फौज बणाई ,
धाड़ेती से गाय छुड़ाई ॥१२॥
दूदा राव जी राज गंवायो,
पुनः गुरूजी राज दिलायो ॥१३॥
तेजा जी का कोढ़ हर लीन्हा,
कवि कान्हा को पुत्र दीन्हा॥१४।
भूआ तांतू का मान बढ़ाया,
परम तत्व का ज्ञान कराया॥१५॥
इसकंदर का गर्व मिटाया,
हक की रोज़ी जीमण धाया॥१६॥
तर्ड़ जात बाजो अजमायो,
तज अभिमान शरण में आयो ॥१७॥
मलेर कोट्ला गाय हनन्ता,
रीत बुरी का कर दिया अंता॥१८॥
रावल जैतसिंह पेट का रोगी,
जम्भगुरू जी किया निरोगी॥१९॥
आक के आम लगाया स्वामी,
अधर धार बरसाया पानी॥२०॥
बीदे का अहंकार मिटाया,
जल का गुरूजी दूध बणाया॥२१॥
लक्ष्मण पाड़ूँ गोत गोदारा,
जैसाणे में किया पसारा ॥२२॥
पूल्हे जी को स्वर्ग दिखाया,
नौरंगी को भात भराया ॥२३॥
हासम कासम दर्जी जाया,
दिल्ली जाकर मु्क्त कराया॥२४॥
महम्मदखां करी जीव की चर्चा,
तुरंत गुरूजी दीन्हा परचा ॥२५॥
काजी मुल्ला सब चकराया,
हाथी का गुरू भेड़ बनाया॥२६॥
लोहा पांगल लक्ष्मण सैंसा,
खींयो भींयो रत्ना जैसा ॥२७॥
खेमनराय और सांगा राणा
मोती मेघ मल्लू बलवाना ॥२८॥
झाली राणी अतली ऊदा,
नाथो रेड़ो कुलचंद बीदा॥२९॥
क्या योगी संन्यासी नाथा,
सब सत्गुरू का लिन्हा साथा॥३०॥
उन्तीस नेम का धर्म बताया,
ऋषि मुनि सबके मन भाया॥३१॥
लालासर में रूप समाया,
हरि कंकैड़ी आसन लगाया॥३२॥
कहाँ लग महिमा वरणूं थारी,
नेति नेति कह जिव्हा हारी ॥३३॥
भूत पिशाच दूर हो जावे,
जो जम्भगुरू की शरण में आवे॥३४॥
हवन जोत नित करे जो कोई,
मन बुद्धि चित निर्मल होई॥३५॥
बिष्णु नाम जो जपें सवेरा,
ऋद्धि सिद्धि घर करे बसेरा॥३६॥
नेम रखे गुणतीस ये जोई,
काल जाल नही व्यापे कोई॥३७॥
जो कोई शरण आपकी आवे,
जन्म जन्म के पाप नसावे ॥३८॥
जंभ चालीसा जो कोई गावे,
जम्भगुरू की कृपा पावे॥३९॥
निर्मल मन गुरू महिमा गावे
सच्चिदानंद थारो पार न पावे॥४०॥
दोहा-
भगवों भेष सुहावणो,माँ हँसा का लाल।
लोहट जी रा लाड़ला,गायां रा गिवांल ॥
धर्म उबारण कारणे,लियो मनुज अवतार।
मेरी भव बाधा हरो, करूणामय करतार ॥
जय जम्भेश्वर जय भगवान
भगत वत्सल प्रभु दीन दयाल ।
जम्भ चालीसा 🌸
यूट्यूब के इतिहास में पहली बार प्रस्तुत — डॉ. स्वामी सच्चिदानंद आचार्य जी द्वारा मधुर स्वर में गाई गई जम्भ चालीसा।
यह भजन गुरु जम्भेश्वर भगवान की महिमा का गान है, जो हर भक्त को भक्ति, शांति और ऊर्जा से भर देता है।
🙏 श्रवण करें और गुरु जम्भेश्वर भगवान की भक्ति में लीन हो जाएं 🙏
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