राजस्थान बिश्नोई समाचार जैसलमेर रेगिस्तान की तपती रेत पर हरियाली का सपना बोने वाले, घायल हिरणों के लिए अपने घर का आँगन खोल देने वाले, और लुप्तप्राय गोडावण की रक्षा के लिए अपने जीवन को खफा दिया। — "गोडावण मैन" राधेश्याम बिश्नोई अब सिर्फ नाम नहीं, बल्कि एक प्रेरणा बन चुके हैं।
24 मई 2025 को शिकारी का पीछा करते हुए वे शहीद हो गए, लेकिन उनके सपनों की गूंज अब भी हवाओं में सुनाई देती है।
🌏 एक व्यक्ति, एक संकल्प, और पूरा आंदोलन
12 साल से ज्यादा का समय उन्होंने उन प्राणियों को समर्पित किया जिनकी आवाज़ अक्सर कोई नहीं सुनता। घायल हिरण हो या संकटग्रस्त गोडावण — राधेश्याम हर जीव के लिए ढाल बने।
🏆 सम्मान की राह
जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय (JNVU) की गुरु जंभेश्वर पर्यावरण संरक्षण शोधपीठ ने राज्य सरकार से मांग की है कि राधेश्याम बिश्नोई को मरणोपरांत "अमृता देवी वृक्ष मित्र पुरस्कार" से नवाजा जाए। यह सम्मान केवल एक व्यक्ति को नहीं, बल्कि पूरे उस विचार को मिलेगा जिसमें प्रकृति को अपना परिवार माना जाता है।
🙏 समाज की मांग, राधे की याद
बिश्नोई समाज और पर्यावरण प्रेमियों ने आग्रह किया है कि पोकरण बिश्नोई धर्मशाला के आस पास या धर्मशाला मे राधेश्याम बिश्नोई के नाम पर कुछ किया जाए। लोगों की जुबान पर एक ही बात है –
✨ “राधे गए नहीं, वो तो हर दिल में आज भी जिंदा हैं।”
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