बिश्नोई समाज को सोचने की ज़रूरत: जब बेटी घर से भागे — दर्द, गुस्सा और जवाबदेही सबका है

राजस्थान जयपुर बिश्नोई समाचार बाङमेर विशेष रिपोर्ट शंकर बिश्नोई राजस्थान के बाङमेर से हाल ही में धोरीमन्ना क्षेत्र में एक ऐसी घटना सामने आई जिसने पूरे बिश्नोई समाज को झकझोर कर रख दिया। एक युवक ने अपनी पत्नी की दूसरी शादी से आहत होकर, गुस्से में आकर ससुर की नाक काट दी। यह घटना केवल एक परिवार का नहीं, पूरे बिश्नोई समाज का आईना है — जहाँ संवाद और समाधान के स्थान पर हिंसा और अपमान ने जगह ले ली।

यह केवल एक व्यक्ति की गलती नहीं थी — बेटी का घर से भाग जाना, परिवारों के बीच उचित संवाद का अभाव, और समाज का चुप रहना — सभी ने इस त्रासदी में अपनी भूमिका निभाई।

🔸 बिश्नोई समाज के लिए सीख:
आज ज़रूरत है कि हम अपने बच्चों को संवाद, रिश्तों की मर्यादा और कानून का सम्मान करना सिखाएं। यदि किसी लड़की को किसी रिश्ते में परेशानी हो, तो वह अपने परिवार से बात करे, समाज की पंचायत का सहारा ले — भाग जाना किसी समस्या का हल नहीं है।

🔸 अभिभावकों से अपील:
बेटियों को आत्मनिर्भर बनाएं, लेकिन उन्हें यह भी सिखाएं कि हर निर्णय सोच-समझकर लें। भागकर शादी करना न केवल घर की मर्यादा तोड़ता है, बल्कि कई बार हिंसक परिणाम भी देता है।

🔸 युवाओं से संदेश:
यदि आपकी पत्नी या कोई रिश्तेदार आपकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता, तो कानून का सहारा लें — हिंसा का नहीं। क्रोध में किया गया एक कदम कई ज़िंदगियाँ तबाह कर देता है।

🔸 बिश्नोई समाज को जागना होगा:
आज वक्त है जब समाज को जागरूक होना पड़ेगा। सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप से कुछ नहीं होगा — समाज को ऐसे मामलों में मध्यस्थता करनी चाहिए, गलत को गलत और सही को सही कहने की हिम्मत दिखानी होगी।

👉 समाधान संवाद से निकलता है, हिंसा से नहीं।
👉 बेटियों को शिक्षा और मार्गदर्शन देना ही असली समाधान है।  

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