सालों बाद अपने पुराने थानेदार से मिले पूर्व बीएसएफ जवान, गांव की गलियों में लौटी यादों की गूंज

राजस्थान बिश्नोई समाचार बींछावाड़ी सांचौर लेखक फलोदी विधायक पब्बाराम विश्नोई कभी-कभी जीवन ऐसे मोड़ पर ले आता है जहाँ भूली-बिसरी यादें फिर से ताजा हो जाती हैं। ऐसा ही कुछ अनुभव हुआ जब पूर्व बीएसएफ जवान फलोदी विधायक पब्बाराम विश्नोई लोहावट से लौटते वक्त बींछावाड़ी गांव पहुंचे। इस गांव से एक विशेष रिश्ता जुड़ा था – 1980 के दशक में लोहावट थाने के थानेदार रहे श्री सोहन सिंह गोयल से।

पूर्व सैनिक पब्बाराम विश्नोई ने भी बताया, “जब मैं बीएसएफ से आकर शिक्षक बना था, तब गोयल साहब लोहावट थाने में तैनात थे। उनका फौजियों के प्रति व्यवहार अत्यंत सम्मानजनक था और इसी कारण उनसे गहरा अपनापन बन गया था।”

अचानक याद आने पर जब वे गोयल साहब के गांव पहुंचे और उनका घर ढूंढा, तो सामने मिले 87 वर्षीय बुजुर्ग। पूछने पर उन्होंने सिर हिलाकर अपनी पहचान बताई। यद्यपि दोनों का हुलिया अब काफी बदल चुका था, फिर भी मन की पहचान बाकी थी।

गोयल साहब ने अतिथि को अपने घर की कोठड़ी में बिठाया और वर्षों पुराने अनुभवों को साझा किया। बातें, ठिठोली, पुराने साथियों की खोज-खबर ने जैसे वक़्त को पीछे खींच लिया।

बातचीत के अंत में गोयल साहब ने भावुक होते हुए कहा –
“इतनी दूर से मेरा हालचाल पूछने आए, तो लगता है कि इंसानियत अब भी जिंदा है।”

बिछड़ते हुए उन्होंने यह भी कहा कि –
“पता नहीं इस जीवन में दोबारा मुलाकात हो या नहीं।”

इस मुलाकात ने साबित किया कि भावनाओं की डोर समय की सीमाओं से कहीं ज्यादा मजबूत होती है।

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