आज फिर सौर ऊर्जा की भेंट चढ़े राज्य वृक्ष के 65 विशाल पेड़रात के अंधेरे में विकास के नाम पर विनाश जारी



 प्रकृति को नष्ट कर विदेशों को बिजली देने का गोरख धंधा

 तापमान बढ़ने से राजस्थानियों का जीवन खतरे में करना पड़ सकता है पलायन

राजस्थान बिश्नोई समाचार बीकानेर गजनेर 7 मई। राजस्थान के पश्चिमी जिलों की प्रकृति को बेरहमी से विनष्ट किया जा रहा है स्थानीय लोगों का विरोध कुछ भी असर नहीं कर रहा है । प्रमाण है कि मंगलवार को रात में   65 विशाल खेजड़ियों की कटाई हुई है । सौर ऊर्जा के नाम से विशाल राज्य वृक्षों को रात के अंधेरे में मौत के घाट उतार दिया गया। पटवारी तथा वन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर उक्त घटना का मुकदमा दर्ज करवाया है । पर्यावरण प्रेमी महीराम दिलोइया निवासी बंधाला ने पुलिस थाना गजनेर में प्राथमिक रिपोर्ट प्रस्तुत कर दर्ज करने की मांग की जिसमें उन्होंने लिखा कि मंगलवार को रात में 12:00 बजे कट्टर मशीनों की आवाज सुनाई दी तब कानाराम पुत्र रतनाराम जाट ने धरनार्थियों को सूचना दी ।


 धरनार्थी व पर्यावरण प्रेमी धरनास्थल से 8 किलोमीटर दूर गजनेर रोड पर जयमलसर गांव की सीमा में पहुंचे । जहां स्टैमर लिमिटेड सोलर एनर्जी नाम की एक कंपनी की चारदीवारी बनी हुई है जिसके मुख्य गेट से अंदर प्रवेश कर खेत खसरा नंबर 83और 84 जो जयमलसर की सरहद में स्थित है उसमें राज्य वृक्ष खेजड़ी के बड़े-बड़े 65 वृक्षों को कट्टर मशीनों से चंद समय में ही काट दिया विशाल वृक्षों को मौत के घाट उतार कर जमीन पर सुला दिया । धरनार्थी पुलिस को साथ में लेकर आधी रात के समय मौके पर पहुंचे तो पुलिस की गाड़ी की लाइट देखकर अपराधी फरार हो गए । कानाराम ने बताया कि एक गाड़ी थी जिसमें चलित कटर मशीन लगी हुई थी पेट्रोल तथा कुछ अन्य सामान था मदन सिंह पुत्र सूरत सिंह निवासी खेतोलाई जिला जैसलमेर डूंगरसिंह पुत्र गायड़ सिंह राजपूत निवासी खींवसर जिला नागौर आयु 38 वर्ष  कंपनी के मैनेजर तथा स्टाफ के कहने पर विशाल वृक्षों को काटा था । खेत मोहनराम पुत्र सुरतिराम मेघवाल तथा मीरा पुत्री जमुना चमार के है जो कंपनी ने ले रखे हैं ।
उल्लेखनीय है कि नोखा दहिया की सरहद में खेजड़ला की रोही में एकमे सोलर एनर्जी कंपनी द्वारा हजारों वृक्ष काट लिए गए थे तो शेष खड़े हजारों वर्षों की कटाई रोकने के लिए 18 जुलाई 2024 से पर्यावरण प्रेमियों ने संघर्ष समिति के बैनर तले अनिश्चित कालीन धरना चालू किया था जिसको लगभग 10 महीने हो गए हैं । इस धरने के समर्थन में पश्चिमी राजस्थान के आठ जिले पूर्णता या बंद रखकर पेड़ों की कटाई रोकने की आवाज राज्य सरकार तक पहुंचाई जा चुकी है । कई बार प्रतिनिधिमंडल भी मुख्यमंत्री से मिले हैं सैकड़ो ज्ञापन दिए जा चुके हैं 10 माह से सर्दी गर्मी वर्षा आंधी तूफान सब सहन करते हुए पर्यावरण प्रेमी खेजड़ला की रोही में इस बात को लेकर धरने पर बैठे हैं कि राजस्थान में ट्री प्रोटेक्शन एक्ट बनाया जावे और अंधाधुंध कट रहे लाखों पेड़ों की कटाई पर रोक लगाई जावे सौर ऊर्जा प्लांट लगाने से राजस्थान का तापमान बढ़ रहा है और इसमें पेड़ों की कटाई आग में घी का काम कर रही है । राजस्थान के पर्यावरण वैज्ञानिकों का मानना है कि राज्य का तापमान नियंत्रित नहीं किया गया तो यहां के निवासियों को यह क्षेत्र छोड़कर पलायन करना पड़ेगा चंद समय में ही तापमान असहनीय स्थिति तक बढ़ जाएगा तापमान को कम करने की वैज्ञानिकों की मांग को भी सरकार अनसुना कर रही है और 10 माह से चल रहे धरनार्थियों की भावना को भी भारी ठेस पहुंचा रही है ।एक तरफ भारत का सुप्रीम कोर्ट पेड़ की हत्या को मानव की हत्या से बदतर बता रहा है दूसरी तरफ राजस्थान की राज्य सरकार गहरी नींद में सोई हुई है और विकास के नाम पर लाखों वृक्षों की बलि चढाई जा रही है इसी कड़ी में मंगलवार को रात के अंधेरे में 65 राज्य वृक्ष के विशाल पेड़ धराशाई कर दिए गए हैं बिश्नोई समाज सहित सभी पर्यावरण प्रेमियों में आक्रोश व्याप्त है। धरनार्थी बेहद परेशान है कि सरकार उनकी आवाज नहीं सुन रही है और कंपनी के कर्मचारी अधिकारी चोरी छिपे आए दिन हजारों पेड़ काटने के प्रयासों में लगे रहते हैं धरना स्थल से दूर रात्रि के समय पेड़ काट रहे हैं ।



 ज्ञातव्य है कि उक्त क्षेत्र सिंचित भूमि है जिसको प्रशासन की मिली भगत से असिंचित घोषित कर कंपनियों को दे दिया गया है कंपनियां हरे वृक्षों की अवैध कटाई कर रही है स्थानीय लोग आश्चर्यचकित है कि उनकी प्रकृति वन्य जीव कीट पतंग सहित समस्त प्रकृति को बुरी तरह से विनाश किया जा रहा है उनकी आवाज को सुनने वाला कोई नहीं है सरकार कंपनियों के साथ खड़ी है विकास के नाम पर विनाश कर रही है जिससे पश्चिमी राजस्थान के लोगों का जीवन खतरे में पड़ गया है । यहां प्राणी मात्र का जीवन नष्ट होने के कगार पर पहुंच गया है मानव समाज को जिंदा रहना होगा तो यहां से पलायन करना पड़ेगा ऐसी परिस्थितियों पैदा हो गई है पर्यावरण प्रेमियों ने राज्य सरकार से मांग की है कि शीघ्र धरनार्थियों से वार्ता कर पेड़ कटाई पर प्रतिबंध लगाया जावे और राजस्थान में ट्री प्रोटेक्शन एक्ट बनाकर कठोर कानून लागू किया जावे। वृक्ष कटे वहां आज मौके पर पर्यावरण संघर्ष समिति के संयोजक रामगोपाल बिश्नोई, महीराम दिलोइया, सज्जन बैनिवाल ,भोमाराम भादू हरीराम खीचड़ ,कानाराम गोदारा सहित पर्यावरण प्रेमी मौजूद रहे।

Post a Comment

और नया पुराने