श्रीगंगानगर में श्रीगुरु जम्भवाणी जन जाग्रति मंच संगोष्टी कार्यक्रम आयोजित हुआ

राजस्थान बिश्नोई समाचार सजय बिश्नोई श्रीगंगानगर अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा शाखा श्रीगंगानगर के तत्वाधान में श्रीगुरु जम्भवाणी जन जाग्रति मंच श्रीगंगानगर द्वारा रविवार को गाव लखासर जिला हनुमानगढ़ में बिश्नोई पंथ प्रवर्तक श्रीगुरु जाम्भोजी की वाणी ( सबदवाणी) में निहित मानव व जीव कल्याणकारी उपदेशो को मंच के माध्यम से गाँव-गाँव व ढाणी-ढाणी में जन-जन तक पहुचाने तथा सामजिक व पर्यावरण विषय के प्रति चेतना जागृत करने के उद्देश्य के तहत चलाये गये अभियान के क्रम में संगोष्टी कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जाम्भाणी साहित्य अकादमी बीकानेर के साहित्यकार डॉ0 श्री कृष्णलाल बिश्नोई ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सबदवाणी और जाम्भाणी साहित्य के विभिन्न पहलुओ पर प्रकाश डालते हुए शब्दवाणी के शब्दों का अर्थ सरल तरीके से बताया और विभिन्न भ्रांतियों का भी निवारण किया तथा अन्य वक्ताओ में सर्व श्री हंसराज थोरी , रामगोपाल तरड़, हेतराम भादू (से0नि0 व्याख्याता) संतकुमार पंवार , संदीप सहारण, अमरचंद पूनिया, संतोष पूनिया, संजय सहारण , अरविन्द गोदारा ने श्रीगुरु महाराज के बताए हुए नियमो व शब्दो, मंत्रो की व्याख्या बड़े ही सरल तरीके से की । पर्यावरण के प्रति श्रीगुरु जाम्भो जी का प्रेम व उनके द्वारा बनाये गए बिश्नोईयों का, पेड़ो के बदले अपनी जान देने का भी उदाहरण के तौर पर बताया व पौधों व जीवो की रक्षा का संकल्प भी लिया गया इसमें विभिन्न सामजिक मुद्दों और सुधारों पर भी चर्चा की गयी ।  कार्यक्रम में मंच संचालन अरविन्द गोदारा ने किया । उपस्थित ग्रामीणों ने इस प्रकार की संगोष्ठी एक बार दुबारा करने का अनुरोध किया । इस अवसर पर सरपंच श्री भूपसिंह सिहाग, पूर्व सरपंच श्री प्रदीप पूनिया, अधिवक्ता श्री शैलेन्द्र धारणीया, श्री हनुमान गोदारा, श्री रामस्वरूप धारणिया, श्री नत्थूराम धारणिया सहित अन्य मोजीज व बुजुर्ग जनों, महिलाओं, बच्चो ने भी भाग लिया। आयोजन में समस्त ग्रामवासियों सहित सर्वश्री मनोहर धारणीया, शिवकुमार सहारण,भूप तरड़ ने भी सहयोग किया। श्री संदीप सहारण ने आपसी मनमुटाव और वैमनस्य का त्याग कर,जाम्भाणी परम्परा अनुसार बेहतर आपसी संवाद कायम करते हुए भाईचारे से रहने की बात कही। सरपंच श्री भूपसिंह सिहाग ने सबदवाणी के प्रचार-प्रसार की आवश्यक्ता जताते हुए इसके पाठन और मनन करने की बात कही। मंच द्वारा आयोजित यह 17 वी संगोष्टी थी।

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