भामाशाहों के सहयोग से संचालित — बिना जमीन के भी जारी सेवा, हर दिन पहुंचती है नई जिंदगी की पुकार
राजस्थान बिश्नोई समाचार बालोतरा जोधपुर–बालोतरा हाईवे पर स्थित कूड़ी रेस्क्यू सेंटर एवं अस्पताल आज वन्यजीव सेवा का प्रतीक बन चुका है। यहां घायल और असहाय पशु–पक्षियों का नि:शुल्क उपचार किया जाता है। सिर्फ 12 महीनों में यहां 200 से अधिक केस दर्ज हुए, जिनमें से 150 से ज्यादा वन्यजीवों को स्वस्थ कर जंगल में वापस छोड़ा गया है।
रेस्क्यू सेंटर की शुरुआत की कहानी भी उतनी ही प्रेरणादायक है। संस्थापक राकेश चांपाणी ने बताया कि एक साल पहले सड़क पर घायल हिरण को तड़पते देख उनके मन में इस सेवा की शुरुआत का विचार आया। भामाशाहों के सहयोग से 1 जून 2024 को रेस्क्यू सेंटर की स्थापना की गई। आज यह केंद्र दर्जनों वन्यजीवों के जीवन का सहारा बन चुका है।
24 घंटे रेस्क्यू सेवा — सूचना मिलते ही पहुंचती है टीम
राकेश चांपाणी ने बताया कि रेस्क्यू सेंटर में फिलहाल एंबुलेंस सुविधा नहीं है, लेकिन सूचना मिलते ही निजी वाहन से तुरंत रेस्क्यू किया जाता है। सड़क दुर्घटनाओं में घायल पशु–पक्षियों या बीमार गोवंश की सूचना पर टीम मौके पर पहुंचकर उपचार करती है।
सरकारी डॉक्टरों की देखरेख में इलाज किया जाता है, और सभी आवश्यक दवाइयां सेंटर में हमेशा उपलब्ध रहती हैं।
रजिस्टर में होती है हर जीव की एंट्री
सेंटर में लाए गए हर घायल जीव की जानकारी रजिस्टर में दर्ज की जाती है। जब जीव पूरी तरह स्वस्थ हो जाता है, तो वन विभाग की देखरेख में खुले जंगल में छोड़ने की एंट्री भी दर्ज होती है।
अब तक हिरण, खरगोश, नीलगाय, कछुआ, मौर, घोड़ा, कोयल, साइबेरियन सारस, बंदर, बिल्ली और कई अन्य वन्यजीवों का उपचार यहां किया जा चुका है।
‘श्री करूणा सेवा संस्थान’ बना सहयोग का बड़ा परिवार
राकेश चांपाणी ने बताया कि उन्होंने ‘श्री करूणा सेवा संस्थान’ नाम से व्हाट्सएप ग्रुप बनाया है, जिसमें 4,000 से अधिक सदस्य जुड़े हैं।
प्रत्येक अमावस्या, पूर्णिमा और ग्यारस को इस समूह के माध्यम से सहयोग राशि एकत्र की जाती है, जिससे सेंटर का संचालन होता है।
इस ग्रुप में विदेशों में कार्यरत भामाशाह, सरकारी अधिकारी और स्थानीय समाजसेवी सक्रिय रूप से सहयोग कर रहे हैं।
भीषण गर्मी में जलसेवा भी — खाली खेलियों में टैंकर से पानी डलवाया
गर्मी के मौसम में सेंटर की टीम ने करीब 200 से अधिक गोवंश और पशुओं की प्यास बुझाने के लिए खाली पड़ी खेलियों में टैंकरों से पानी डलवाया।
अब तक 100 से अधिक घायल गायों का इलाज कर उन्हें गौशालाओं तक पहुंचाया जा चुका है।
दो दर्जन से अधिक मंचों से हो चुके हैं सम्मानित
वन्यजीव सेवा में अहम भूमिका निभाने वाले राकेश चांपाणी को अब तक 24 से अधिक संस्थाओं और सरकारी कार्यक्रमों में सम्मानित किया जा चुका है।
सन् 2024 में बालोतरा जिला कलेक्टर ने उन्हें सम्मानित किया, जबकि बिश्नोई महासभा बिकानेर ने आठ बार, और राष्ट्रीय पर्यावरण मेला खेजड़ली जोधपुर ने दो बार उनका सम्मान किया है।
"भामाशाहों के सहयोग से चल रही है यह सेवा"
संस्थापक राकेश चांपाणी ने बताया — “रेस्क्यू सेंटर पूरी तरह भामाशाहों के सहयोग से संचालित है। इससे पहले हमने पक्षियों के लिए लगभग 8 लाख रुपए की लागत से रैन बसेरा भी बनाया था। अब योजना है कि एक स्थायी गौशाला बनाई जाए, ताकि घायल गोवंश को बाहर न भेजना पड़े।”
कूड़ी रेस्क्यू सेंटर, भले ही अपनी स्थायी जमीन के अभाव में कई बार स्थान बदल चुका हो, लेकिन सेवा की भावना और जीव दया का जो उदाहरण इसने पेश किया है, वह पूरे क्षेत्र में प्रेरणा का स्रोत बन चुका है।
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