खेजड़ी काटने वालों की अब खैर नहीं ,बिश्नोई समाज ने खटखटाया हाईकोर्ट का दरवाजा

 क्यों काट रहे हो पेड़ हार्डकोर्ट ने दिया सो कोज नोटिस 

पेड़ काटने वाले सोलर प्लांट का नाम ग्रीन एनर्जी गलत है इस उद्योग को सफेद सूची से हटाने की माँग

राजस्थान बिश्नोई समाचार नागौर 27 सितंबर। जिले के ग्राम पीपासर की पंजीकृत संस्था श्री जम्भेश्वर पर्यावरण एवं जीवरक्षा प्रदेश संस्था राजस्थान की ओर से उक्त संस्था प्रदेश अध्यक्ष रामरतन बिश्नोई ने संस्था के विद्वान अधिवक्ता विजय बिश्नोई के मार्फत जोधपुर हाईकोर्ट में जनहित याचिका पेश कर राज्यवृक्ष खेजड़ी सहित पेड़ों की अवैध कटाई रोकने, राजस्थान में ट्री प्रोटेक्शन एक्ट बनाने और प्रकृति के असंख्य प्राणी जगत के आशियाने बचाने की मांग की है।

जनहित याचिका 15 सितम्बर को पेश की गई जिसका डीबी सिविल रिट पिरीशन संख्या सीडब्ल्यू 18852/2025 पर पंजीकरण हुआ। 

उक्त याचिका में राजस्थान सरकार के मुख्य शासन सचिव, वन मंडल राजस्थान के प्रधान मुख्य वन संरक्षक, वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के निदेशक, राजस्थान राजस्व विभाग जयपुर के प्रभारी अधिकारी अतिरिक्त कलक्टर,ऊर्जा विभाग राजस्थान सरकार के सचिव, राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम लिमिटेड जयपुर के निदेशक, केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान काजरी जोधपुर, जिला कलक्टर्स जयपुर, हनुमानगढ़,बाड़मेर, जोधपुर, बीकानेर और फलोदी को अवैध पेड़ कटाने का आरोपी बनाया है। याचिका कर्त्ता संस्था के प्रदेश अध्यक्ष रामरतन बिश्नोई ने लिखा है कि सोलर प्लांट लगा कर विकास के नाम पर प्रकृति का विनाश चरम सीमा पर हो रहा है। 

राजस्थान में सोलर कम्पनियों ने पश्चिमी राजस्थान के सीमावर्ती जिलों में 26 लाख पेड़ काट लिये हैं और 38 लाख पेड़ काटने की योजना प्रस्तावित है। सोलर प्लांट का नाम ग्रीन एनर्जी दिया है जबकि इसको लगाने के लिए प्रकृति का बेरहमी से विनाश किया जा रहा है। 


सैकड़ों वर्ष पुराने खेजड़ि‌यों के विशाल वृक्ष काटे जा रहे हैं जिन मूक प्राणियों का जीवन उन पेड़ों से पलता है उनको समूल नष्ट कर रहे हैं। असंख्य वनस्पति और असंख्य जीव मारे जा चुके हैं। जिन किसानों तथा पशुपालकों को इससे नुकसान होता है वे विरोध करते हैं। 

धरना प्रदर्शन करते हैं। अधिकारियों को ज्ञापन देते हैं उनकी कोई नहीं सुनता है और सॉलर कम्पनियों के सहयोग में वन विभाग, जिला प्रशासन जिला पुलिस,अधिकारी खड़े रहते हैं। शिकायतें मिलने पर भी चुप बैठे रहते हैं। प्रकृति प्रेमी लोग पेड़ काटने का पुरजोर विरोध करते हैं।

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