राजस्थान बिश्नोई समाचार भीलवाड़ा। जीवन की तमाम कठिनाइयों और सामाजिक चुनौतियों को पार कर सफलता की नई ऊंचाइयां छूने वाली पालू बिश्नोई आज लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं।
राजस्थान के बाड़मेर जिले के छोटे से गांव बारासन में 10 अक्टूबर 1992 को जन्मी पालतू बचपन से ही कठिन हालातों में पली-बढ़ीं। 5 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाना, तपती धूप में लौटकर घर आना और फिर पढ़ाई करना उनके संघर्ष की कहानी को दर्शाता है। लेकिन पढ़ाई के प्रति उनके जुनून को देखकर उनके पिता ने उन्हें गुड़ामालानी के राजकीय विद्यालय में दाखिला दिलाया, जहां उन्होंने दसवीं में 70% और बारहवीं में 67% अंक हासिल किए।
वर्ष 2012 में शादी और एक पुत्र के जन्म के बाद भी पालू ने शिक्षा नहीं छोड़ी। पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाते है उन्होंने नर्सिंग क्षेत्र में कदम रखा। लेकिन जीवन ने एक और कठिन मोड़ तब लिया जब पढ़ाई के दौरान ही उनके पति का निधन हो गया। उस समय पालतू ने न सिर्फ अपने बच्चे और परिवार की जिम्मेदारी उठाई बल्कि खुद को दोबारा खड़ा किया और ANM पाठ्यक्रम सफलतापूर्वक पूरा कर वर्ष 2018 में पहली बार चयनित हुईं।
यहीं नहीं, पालू ने 2020 में राजस्थान पुलिस कांस्टेबल परीक्षा पास की और वर्तमान में पुलिस चौकी भीलवाड़ा में तैनात हैं। साथ ही उन्होंने रीट पात्रता परीक्षा और राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) की प्रारंभिक परीक्षा भी सफलतापूर्वक उत्तीर्ण की है।
पालू का मानना है कि "कोई भी परिस्थिति इतनी बड़ी नहीं होती कि मेहनत और हौसले से पार न पाई जा सके।" उनकी यह प्रेरक यात्रा उन सभी के लिए मिसाल है जो जीवन की विपरीत परिस्थितियों में हार मान लेते हैं।
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