
हिरन रक्षार्थ कर दिया था जीवन का बलिदान बिश्नोई समाज प्रकृति से बेहद प्यार करता है, वन व वन्यजीव संरक्षण इनके सामाजिक व धार्मिक जीवन का अभिन्न अंग है। बिश्नोइज्म में प्रकृति संरक्षण के लिए बलिदानों की पुरानी परम्परा है। इसी परम्परा व ध्येय वाक्य एक नियम 'जीव दया पालणी' का पालन करते हुए शैतानसिंह बिश्नोई ने 29 जनवरी 2014 की मध्यरात्रि को शिकारियों से हिरन को बचाने के लिए अपना सर्वस्व अर्पण कर दिया।
किसे मिलता है जीवन रक्षक पदक :- अशोक चक्र शौर्य पुरस्कार श्रृंखला की शाखा 'जीवन रक्षा पदक' के अंतर्गत विशिष्ट सेवाओं के लिए दिया जाने वाला 'उत्तम जीवन रक्षक पदक' उस व्यक्ति को दिया जाता जिसने अपने जीवन को अधिक खतरे में डालकर किसी व्यक्ति की बचाने में अदम्य साहस का परिचय दिया हो। बिश्नोई समाज के लिए अत्यन्त गर्व की बाद है कि शहीद शैतानसिंह बिश्नोई को यह सम्मान एक मूक वन्य प्राणी की रक्षा के लिए प्रदान किया गया है।
शहीद और शहादत का सम्मान किसी भी परिवार, समाज या राष्ट्र का स्वाभिमान होता है, अमर शहीद शैतानसिंह बिश्नोई समाज के गौरव हैं। उन्हें मरणोपरान्त प्रदान किया गया वीरता का 'उत्तम जीवन रक्षक पदक' बिश्नोई को गौरवान्वित कर रहा है।
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